महर्षि दयानन्द योगपीठ (न्यास) के उद्देश्य

1. महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज द्वारा निर्देशित कल्याणकारी वैदिक सिद्धान्तों को मानना व प्रचार करना इस न्यास का मुख्य उद्देश्य होगा। 2. सार्वभौम सुख एवं शान्ति के लक्ष्य को ध्यान में रख विश्व में वैदिक धर्म, वैदिक संस्कृति तथा वैदिक सभ्यता के आधार पर सर्वसाधारण तथा युवकों/युवतियों और बालक/बालिकाओं में उचित उपायों द्वारा वैदिक…

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वेदप्रचार अभियान

     युगप्रवर्तक, वेदोद्धारक, प्रसिद्ध समाज सुधारक, आर्य समाज के संस्थापक महर्षि देव दयानन्द सरस्वती जी महाराज के २०० वें जन्मवर्ष और आर्य समाज की स्थापना के १५० वें वर्ष के पुण्य अवसर पर महर्षि दयानन्द योगपीठ न्यास द्वारा पूरे वर्षभर गतिविधियां चलाई जा रही है। वेदप्रचार अभियान –       वैशाख कृष्णपक्ष अमावस्या दिन बुधवार ( ८ मई…

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श्रावणी उपाकर्म एवं वेद स्वाध्याय पर्व, ऋषि तर्पण, रक्षाबन्धन, यज्ञोपवीत पर्व, वेद प्रचार पर्व

श्रावणी पर्व जो कि प्राचीनकाल काल से उपाकर्म, उत्सर्जन, वेद स्वाध्याय, ऋषि तर्पण और वर्षाकालीन वृहद् यज्ञ ( वर्षाचातुर्मास्येष्टि ) आदि नामों से प्रचलित है। यह विशेष पर्व है। इसे बड़ी धूम-धाम से मनाना चाहिए। आज के दिन किये जाने वाले यज्ञ की विधि इस प्रकार है – ० आचमन ० अङ्गस्पर्श ० यज्ञोपवीत धारण…

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दैनिक‌ प्रातः कालीन यज्ञ ( अग्निहोत्र ) विधि

तू सर्वेश सकल सुखदाता, शुद्ध स्वरूप विधाता है।

उसके कष्ट नष्ट हो जाते, जो तेरे ढिंग आता है।।

सारे दुर्गुण-दुव्र्यसनों से, हमको नाथ बचा लीजे।

मंगलमय गुण कर्म पदारथ, प्रेम सिन्धु हमको दीजे ।।

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दैनिक यज्ञ ( अग्निहोत्र‌ ) विधि

अग्निहोत्र – अग्नये परमेश्वराय जलवायुशुद्धिकरणाय च होत्रं हवनं यस्मिन कर्मणि क्रियते तदग्निहोत्रम्।
अग्नि वा परमेश्वर लिए जल और पवन की शुद्धि वा ईश्वर की आज्ञा पालन के अर्थ होत्र जो हवन अर्थात् दान करते हैं , उसे अग्निहोत्र कहते हैं।

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विशेष यज्ञ विधि ( सामान्य प्रकरण सहित )

अर्थ—हे (सवितः) सकल जगत् के उत्पत्तिकर्ता, समग्र ऐश्वर्ययुक्त, (देव) शुद्धस्वरूप, सब सुखों के दाता परमेश्वर ! आप कृपा करके (नः) हमारे (विश्वानि) सम्पूर्ण (दुरितानि) दुर्गुण, दुर्व्यसन और दुःखों को (परा सुव ) दूर कर दीजिये। (यत्) जो (भद्रम्) कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव और पदार्थ हैं, (तत्) वह सब हम को (आ सुव) प्राप्त कीजिए॥1॥

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