गायत्री मन्त्र

अर्थ = (ओ३म् ) यह मुख्य परमात्मा का नाम है, जिस नाम के साथ अन्य सब नाम लग जाते हैं। (भूः) जो प्राण का भी प्राण, (भुवः) सब दुःखों से छुड़ानेहारा, (स्वः) स्वयं सुखस्वरूप और अपने उपासकों को सब सुख की प्राप्ति करानेहारा है, (तत् ) उस(सवितुः) सब जगत की उत्पत्ति करने वाले, सूर्यादि प्रकाशकों के भी प्रकाशक, समग्र ऐश्वर्य के दाता, (देवस्य) कामना करने योग्य, सर्वत्र विजय करानेहारे परमात्मा का जो ( वरेण्यम् ) अतिश्रेष्ठ ग्रहण और ध्यान करने योग्य ( भर्गः) सब क्लेशों को भस्म करनेहारा, पवित्र शुद्ध स्वरूप है, (तत्) उस को हम लोग (धीमहि) धारण करें। (यः) यह जो परमात्मा ( नः) हमारी (धियः) बुद्धियों को उत्तम गुण, कर्म, स्वभावों में ( प्रचोदयात्) प्रेरणा करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!