आर्य समाज के कार्य को गति देने के लिए व्यवस्थित कार्य योजना
०- संगठन के कार्य को व्यवस्थित रूप से करने के लिए निर्वाचित प्रधान, मन्त्री और कोषाध्यक्ष मिलकर वरिष्ठ आर्य सभासदों की देखरेख में एक कार्यकारिणी बनायें। कार्यकारिणी में कार्य करने में सक्षम आर्य सभासद हों। सदस्य कम या अधिक होने पर सहायक पदों पर अधिकारी कम या अधिक बनायें। आर्य समाज की कार्यकारिणी का प्रारूप निम्नलिखित है –
संरक्षक –
संरक्षक –
संरक्षक –
प्रधान –
उपप्रधान –
उपप्रधान –
उपप्रधान –
मन्त्री –
उपमन्त्री –
उपमन्त्री –
उपमन्त्री –
कोषाध्यक्ष –
आर्य वीर दल अधिष्ठाता –
संगठन मन्त्री –
प्रचार मन्त्री –
पुस्तकालय अध्यक्ष –
अन्तरंग सदस्य –
अन्तरंग सदस्य –
अन्तरंग सदस्य –
अन्तरंग सदस्य –
अन्तरंग सदस्य –
सदस्य –
सदस्य –
सदस्य –
सदस्य –
सदस्य –
सदस्य –
सदस्य –
सदस्य –
……..
…….( सभी सदस्य )
०- आर्य समाज की सामर्थ्य के अनुसार यज्ञ, संस्कार और वेद प्रचार आदि के लिए एक या अधिक धर्माचार्य/पुरोहित/मार्गदर्शक अवश्य नियुक्त करें।
०- आर्य समाज का पूर्ण इतिहास –
आर्य समाज के इतिहास के साथ साथ अपने स्थानीय आर्य समाज की स्थापना से लेकर गत वर्ष तक विशेष कार्यों का विवरण लिखित रूप में रखें।
०- आर्य समाज का उद्देश्य –
आर्य समाज का उद्देश्य संसार का उपकार करना है। “कृण्वन्तो विश्वमार्यम” अर्थात् सारे विश्व को आर्य बनायें। महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज के बताये मार्ग से ही यह सब सम्भव है, इसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त करना।
०- आर्य समाज की नियमावली – आर्य समाज के नियम-उपनियम
जिसमें कार्य करने से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी होती है सभी अधिकारियों के पास उपलब्ध होनी चाहिए।
०- आर्य समाज का साहित्य –
पुस्तक और वीडियो के रूप में आर्य समाज के पास उपलब्ध होना चाहिए।
०- सदस्यता पत्र एवं सभासद प्रतिज्ञा पत्र –
नियमावली में उपलब्ध हैं। सदस्यता पत्र सदस्य बनने के लिए और सभासद बनने पर सभासद प्रतिज्ञा पत्र भरना होता है।
०- अपने कार्यों को व्यवस्थित करने के लिए पञ्जिकायें (रजिस्टर) अवश्य बनायें।
१- कार्यवाही पञ्जिका – जिसमें बैठकों की सम्पूर्ण कार्यवाही का लेखन कार्य होगा। बैठकों के साथ सभी कार्यक्रमों की कार्यवाही भी लिखी जायेगी।
२- उपस्थिति पञ्जिका – बैठकों और सभी कार्यक्रमों की उपस्थिति के लिए।
३- सदस्यता विवरण पञ्जिका – जिसमें अपने सभी सदस्यों का पूर्ण विवरण व सदस्यता का विवरण अंकित करें।
४- आय व्यय पञ्जिका – जिसमें सदस्यता और दान आदि से प्राप्त आय तथा कार्यक्रमों में किये गये व्यय का पूर्ण विवरण अंकित करें।
५- सुझाव व शिकायत पञ्जिका – जिसमें सभी सम्पर्क में आने वालों से आर्य समाज के प्रति उनके विचार, सुझाव और शिकायत अंकित करायें, स्वयं की समीक्षा करें।
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०- रसीद बुक ( पावती पुस्तक ) –
सभी प्रकार की धन राशि अर्थात् सदस्यता शुल्क और दान आदि का धन रसीद बुक से ही प्राप्त करें।
०- बैंक खाता –
आर्य समाज के कार्य के लिए एकत्रित धन की पवित्रता बनाये रखने के लिए बैंक में खाता अवश्य बनायें। आय व्यय का समय समय पर लेखा जोखा जांच भी अवश्य करायें।
०- सदस्यता प्रकार –
१. साधारण सदस्य – नियमावली के अनुसार
२. सभासद – नियमावली के अनुसार
३. अधिकारी सदस्य – नियमावली के अनुसार
०- छाप ( मुहर ) –
अधिकारियों की मुहर अवश्य बनवा लें ।
०- पत्र-बन्ध (लेटर पेड ) –
आर्य समाज का सभी पत्र व्यवहार लेटर पेड से ही करें।
०- आर्य समाज की बैठक में सभी अधिकारी और कार्यकर्ता मिलकर अपने आर्य समाज की गतिविधियों की योजना बनायें।
दैनिक सत्संग –
साप्ताहिक सत्संग –
वेदप्रचार –
वार्षिकोत्सव –
अन्य उत्सव –
विशेष गतिविधि – जैसे – संस्कृत अध्ययन कक्षा, योग कक्षा एवं आर्य वीर/वीरांगना दल की शाखा आदि, साहित्य या पत्रिका आदि का प्रकाशन आदि।
०- सभी आर्य समाज और आर्य संगठन मिलकर वर्षभर में एक आर्य महासम्मेलन जनपद भर में अवश्य करें।
०- समय समय पर अपने जनपद के विद्यालयों या किसी प्रकार के शिक्षण संस्थाओं में युवा सुधार , मानव निर्माण कार्यक्रम करें ।
०- आर्य समाज का वाट्साप समूह बनायें जिसमें सभी अधिकारी, कार्यकर्त्ता और सदस्य सम्मिलित हों। समूह में समय समय पर संगठन के दिशा निर्देश और कार्यक्रमों की जानकारी साझा की जाय। सोशल मीडिया का उपयोग किया जाय लेकिन दुरुपयोग से बचा जाय ।
०- समय समय पर खेलकूद, योग, वाद विवाद, निबन्ध लेखन, भाषण ,सामान्य ज्ञान और सत्यार्थ प्रकाश आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन करें ।
०- सम्भव हो सके तो निःशुल्क कोचिंग सेन्टर, कम्प्यूटर सेन्टर, सिलाई केन्द्र आदि का कार्य भी किया जाय।
०- गतिविधियों का यूट्यूब व सोशल मीडिया पर प्रचार कार्य कार्यालय से व्यवस्थित व निरन्तर होना चाहिए।
०- क्षेत्र विशेष को चिह्नित करके संगठन को विस्तार दिया जाय।
०- आर्य समाज की कार्यकारिणी में आर्य वीर दल अधिष्ठाता पद होता है – अधिष्ठाता आर्य वीर दल से जुड़कर युवाओं में कार्य करने की व्यवस्था करे।
०- महापुरुषों, क्रान्तिकारियों तथा वैदिक पर्वों का विवरण तैयार करके सभी कार्यकर्ताओं तक पहुंचाना।
०- आर्य समाज के सदस्य अपने स्तर पर कार्यक्रम बनायें – हवन, प्रवचन, शोभायात्रा या पदसंचलन व मेले आदि में सेवा कार्य।
०- आर्य समाज के अधिकारी अपने साथियों के साथ अपने क्षेत्र में संगठन की गतिविधियों पर योजना बनाकर कार्य करें –
– जन जागरण ( वेद प्रचार ) अभियान
– मानव निर्माण अभियान
– प्रतियोगिता (शारीरिक, बौद्धिक, खेलकूद आदि)
– वाहन यात्रा, पर संचालन, शोभायात्रा आदि का आयोजन समय समय पर करते रहें।
– मेले आदि में जनसमूह जहां एकत्रित होता है वहां योजना बनाकर सेवा कार्य करें ( सेवा कार्य के समय अपनी वेशभूषा में रहें तथा पौराणिकता और अन्धविस्वास निवारण का प्रयास करें)
– पत्रक व लघु पुस्तकें प्रकाशन व वितरण
– स्टीकर, पोस्टर एवं कैलेण्डर आदि का निर्माण व वितरण
– दीवाल लेखन
– स्थान स्थान पर झण्डे, बैनर व होर्डिंग आदि से प्रचार
– सत्यार्थ प्रकाश का विभिन्न माध्यमों से प्रचार
– जन समस्याओं के समाधान के लिए भी कुछ कार्य करें।
– असमर्थ लोगों की सहायता करें।
– सदस्यता और दानादि से धन संग्रह कर प्रचार कार्य में लगायें तथा समय से आय व्यय का विवरण सक्षम अधिकारी और समाज के सम्मुख रखें।
( मासिक बैठक अवश्य होनी चाहिए जिससे संगठन के कार्यों को गति प्रदान की जा सके।)
(संगठन से सम्बन्धित किसी भी जानकारी के लिए हमसे सम्पर्क करें।)
आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्री
(वैदिक प्रवक्ता)
संचालक – महर्षि दयानन्द योगपीठ